खगोल विज्ञान (Astronomy) |भूगोल: सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए

भूगोल का ही एक टॉपिक है जिसका नाम है खगोल विज्ञान जो सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होता है और इस टॉपिक से लगभग कई प्रश्न पूछे जाते हैं इसलिए आज के इस आर्टिकल में खगोल विज्ञान से संबंधित सभी बातों को विस्तार पूर्वक लिखकर चर्चा किया गया है आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ कर समझ सकते हैं इस आर्टिकल को पूरा पढ़ लेने के बाद मैं आपको विश्वास दिलाता हूं आप किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में बैठेंगे तो आपको खगोल विज्ञान से प्रश्न नहीं छूटेगा। जी हां अगर आप इस आर्टिकल में लिखा हुआ चीज एक बार पढ़ लेते हैं तो आपको कभी दिक्कत नहीं होगा खगोल विज्ञान में खासकर तो आपको पता है इस आर्टिकल में आज किसके बारे में लिखा गया है तो खगोल विज्ञान ( Astronomy ) | भूगोल: सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए । खगोल विज्ञान के बारे में इस आर्टिकल में लिखा गया है।

हेलो दोस्तों नमस्कार मैं राम शंकर यादव और आप सब का स्वागत करता हूं आपका अपना ब्लॉग वेबसाइट सब ज्ञान पर और आज हम लेकर आए हैं भूगोल का एक पाठ जिसका नाम है खगोल विज्ञान और उसको इंग्लिश में बोलते हैं एस्ट्रोनॉमी तो आज हम सब एस्ट्रोनॉमी को समझेंगे और इससे संबंधित जितने भी प्रश्न बनेंगे उसे सभी को जानने का प्रयास करेंगे बिल्कुल आसान भाषा में एवं केवल वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न का ही जिक्र नहीं करेंगे बल्कि इसके अलावा जो थ्योरी होता है जिसको हिंदी में सिद्धांत बोलते हैं उसको भी आसान भाषा में पड़कर समझेंगे तो लिए आज के इस आर्टिकल को शुरू करते हैं और जानते हैं कि खगोल विज्ञान ( Astronomy ) | भूगोल: सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए

खगोल विज्ञान ( Astronomy क्या है?

इसके अंतर्गत ब्रह्मांड तारे ग्रह इत्यादि के अध्ययन करते हैं जिसे खगोल विज्ञान यानी एस्ट्रोनॉमी कहते हैं। आसान भाषा में समझने के लिए कि ब्रह्मांड में तारे ग्रह इत्यादि जितने भी आकाशीय पिंड हैं उन सभी का अध्ययन खगोल विज्ञान के अंतर्गत आता है इसलिए इसे खगोल विज्ञान कहते हैं और इंग्लिश में इसे एस्ट्रोनॉमी बोलते हैं। अभी हम सब ने केवल यह जाना है कि खगोल विज्ञान होता क्या है लेकिन इसके अंतर्गत हमने अभी जिक्र किए हैं कि ब्रह्मांड के साथ-साथ इस जितने भी ब्रह्मांड में तारे ग्रह है इन सबों का अध्ययन किया जाता है तो एक-एक करके हम सब जानेंगे कि ब्रह्मांड क्या होता है एवं इसमें क्या-क्या दिखाई देते हैं यानी आसान भाषा में खाने का मतलब यह है कि खगोल विज्ञान के अंतर्गत वस्तुओं का अध्ययन किया जाता है उसे सभी को विस्तार पूर्वक जानने का प्रयास करते हैं तो लिए आगे जानते हैं।

सबसे पहले जानेंगे ब्रह्मांड जिसको अंग्रेजी में यूनिवर्स बोलते हैं और उसके बाद तारों यानी जिस को अंग्रेजी में एस्टर बोलते हैं उसके बारे में भी विस्तार पूर्वक जानेंगे और फिर समझेंगे आकाशगंगा जिसको अंग्रेजी में ग्लैक्सी बोलते हैं यह क्या होता है इस चीज को भी आसान भाषा में समझने का प्रयास करेंगे तो इन सभी बातों को हम अभी खगोल विज्ञान के अंतर्गत पा रहे हैं उसके बाद यह जानेंगे कि हमारा जो सूर्य है वह किस आकाशगंगा में है और उसे आकाशगंगा को क्या कहते हैं इस प्रकार से कुछ और प्रश्न है जैसे की तारों की उत्पत्ति कैसे होता है उसका अंत कैसे होता है तारों का रंग किस पर निर्भर करता है इन सभी बातों को विस्तार पूर्वक जानेंगे तो लिए अब शुरू करते हैं सबसे पहले ब्रह्मांड से।

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ब्रह्मांड ( Universe ) क्या होता है?

दिखाई देने वाले समस्त आकाशीय पिंड को ब्रह्मांड कहते हैं। अब यह आकाशीय पिंड समझते हैं कि इसको कैसे समझेंगे जब आप आसमान में देखते होंगे रात में तो बहुत सारे चमकती हुई वस्तुएं दिखाई देती होंगे तो आपने कभी महसूस किए हैं कि वह सभी क्या है तो रात के समय आकाश में चमकने वाले जितने भी वस्तुएं हैं वह सब आकाशीय पिंड है आसान भाषा में कहे तो रात के समय आकाश में चमकने वाले तारे चंद्रमा इत्यादि सभी चमकने वाले वस्तुएं आकाशीय पिंड है

ब्रह्मांड से जुड़ी हुई कुछ और तथ्य को जान लेते हैं जिससे बार-बार प्रश्न पूछे जाते हैं जो आपके लिए अति आवश्यक हैं समझना एवं ध्यान में रखना। ब्रह्मांड अभी विस्तारित हो रहा है जिसे हबल नामक वैज्ञानिक ने अपने दूरबीन से देखा था इस पर सवाल उठ सकता है कि ब्रह्मांड अभी विस्तारित हो रहा है इसे कौन से वैज्ञानिक ने अपने दूरबीन से देखा था तो आप झट से जवाब दे देंगे हब्बल नामक वैज्ञानिक या ऐसे भी पूछा जा सकता है की हबल नामक वैज्ञानिक ने निम्नलिखित में से क्या अपने दूरबीन से देखा था ऑप्शन में कुछ बना कर दिया रहता है इसमें से एक यह भी रहेगा कि ब्रह्मांड विस्तारित हो रहा है ।

उम्मीद करता हूं आप यहां तक पढ़कर समझ गए होंगे ब्रह्मांड से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य एवं इससे जुड़ी सभी बातें लिए अब जानते हैं आकाशगंगा जिसको अंग्रेजी में गैलेक्सी बोलते हैं उसके बारे में। खगोल विज्ञान (Astronomy) |भूगोल: सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए

आकाशगंगा ( Galaxy ) क्या है?

ब्रह्मांड में तारे के असंख्य समूह पाए जाते हैं और तारे के इस समूह को आकाशगंगा कहते हैं। ब्रह्मांड में लगभग 100 अरब आकाशगंगा है एवं प्रत्येक आकाशगंगा में 100 तारे हैं। आकाशगंगा की जाकर कर पिलाकार होता है। आकाशगंगा की केंद्रीय भाग में तारों का संकेंद्रण यानी सघनता अत्यधिक होता है जिस कारण केंद्रीय भाग चमकीला दिखता है जिसे हम बल्ज कहते हैं। वह आकाशगंगा जिसमें हमारा अपना सूर्य है उसे मंदाकिनी कहते हैं। मंदाकिनी को यूरोपीय लोग ने मिल्की वे नाम दिया जिसका हिंदी रूपांतरण दूध मेखला होता है।

हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी की सबसे करीबी आकाशगंगा देवयानी हैं । आकाशगंगा के बारे में हम सब पढ़ चुके हैं अब आगे जानेंगे लेकिन इससे पहले कुछ और समझ लेना बुद्धिमानी है अभी तक हम लोगों ने यह पढ़ लिया है की आकाशगंगा किसे कहते हैं इसके अलावा इसका आकार एवं बल्ब का निर्माण और साथ ही साथ मंदाकिनी इन सभी तथ्यों या बोले पॉइंट को पढ़ चुके हैं और आगे देखेंगे तारा के बारे में तो आइए जानते हैं और समझते हैं तारों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य एवं विस्तार पूर्वक सिद्धांत सहित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का संग्रह।

तारा ( star )

वैसे आकाशीय पिंड जिसके पास अपना ऊष्मा तथा प्रकाश हो उसे तारा कहते हैं। अब तक हम लोगों ने यह तो समझ लिए हैं की तारे होता क्या है एवं अब समझ गए समझेंगे कि इसकी उत्पत्ति कैसे होती है तो लिए आप जानते हैं तारों की उत्पत्ति कोई भी तारा बनने से पहले गैसों का एक विरल गोला होता है विरल गोला कहने का मतलब यह है कि यह सघन नहीं होता है इसमें गाना पर नहीं होता है। लेकिन जब इस वायरस गोला में गैसों का संघ केंद्रन होने लगता है तो वह घने बादल का रूप ले लेता है संघ केंद्रन खाने का तात्पर्य इस बात से हैं कि किसी भी पदार्थ को या वस्तु को एक केंद्र पर आना आसान भाषा में समझे तो किसी भी पदार्थ को या वस्तु को एक केंद्र पर आना है संघ के अंदर है तो जब इस वायरस गोला में गैसों का संरक्षण होने लगता है तो वह घने बादल का रूप ले लेता है जिसे हम निहारिका या ने बुला कहते हैं।

तारे का उत्पत्ति हुआ है तो कभी न कभी अंत भी होगा तो लिए आप जानते हैं तारे का अंत जब किसी तारे का ईंधन ईंधन खाने का मतलब हुआ जलने वाले वस्तु या जलने वाले पदार्थ जिससे जलने का काम आता है वह ईंधन है तो जब किसी तारे का ईंधन समाप्त होने लगता है तो उसके आकार में वृद्धि होने लगते हैं और उसे लाल दानव तारा कहते हैं। लाल दानव के बाद किसी तारे का भविष्य उसके प्रारंभिक धर्म मान पर निर्भर करता है। खगोल विज्ञान (Astronomy) |भूगोल: सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए

यदि तारे का प्रारंभिक द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान के 1.44 गुणा काम होगा तो वह श्वेत वावन का रूप लेगा और जब श्वेत भवन चमकना बंद कर देगा तब वह काला वावण बनेगा और तारे का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। लेकिन यदि तारे का प्रारंभिक दर मान सूरी के दरबान के 1.44 गुना से अधिक होगा तो वह अभी नवतारा बनेगा। अभिनव तारा क्या होता है उसको थोड़ा समझ लेते हैं इसको अंग्रेजी में सुपरनोवा बोलते हैं यह एक विस्फोटक तारा है इसमें हाइड्रोजन हीलियम में तथा हिलियम कार्बन में और कार्बन लोहा जैसे भारी तत्व में बदलते हैं अभिनव तारा विस्फोट के बाद न्यूट्रॉन तारा में बदल जाता है वह न्यूट्रॉन तारा जिसकी त्रिज्या 2gm/c 2 से कम है वह कृष्ण छिद्र का रूप ले लेता है जिसे ब्लैक होल कहते हैं।

कृष्ण छिद्र क्या होता है आइए जान लेते हैं इसका घनत्व अति उच्च होता है जिस कारण यह प्रकाश को भी गुजरने नहीं देता है यही कारण है कि यह काला दिखता है ब्लैक होल के बारे में जानकारी एस चंद्रशेखर तथा मिचेल ने दिया एस चंद्रशेखर ने भी यह निर्धारित किया था कि सूर्य के दरबार से 1.44 गुना बड़े तारे का अंत कृष्ण छिद्र के रूप में होता है जबकि इससे छोटे तारे का अंत काला वामन के रूप में होता है। श्वेत चित्र इसको भी समझ लेते हैं यह एक ऐसी परिकल्पना है जिसमें यह मान लिया जाता है कि समस्त प्रकाश तथा ऊर्जा की उत्पत्ति इसी छिद्र से या इसी नामक स्थान से हुआ है सबसे महत्वपूर्ण लाइन जिससे लगातार प्रश्न पूछे जाते हैं ब्रह्मांड के अध्ययन को कॉस्मोलॉजी कहते हैं।

लिए आप जानते हैं तारे का रंग किसी तारे का रंग उसके प्रस्तीय ताप पर निर्भर करता है यदि तारे का प्रस्तीय तापमान औसत है तो वह लाल दिखेगा परंतु यदि तारे का प्रस्तीय तापमान औसत से अधिक है तब वह श्वेत देखेगा अगर तारे का प्रस्तीय तापमान अत्यधिक है अति उच्च हैं तो वह नीला दिखेगा। तारामंडल यह क्या होता है लिए समझते हैं सूर्य के चारों ओर दूरी पर स्थित तारों के समूह को तारामंडल कहते हैं इनकी संख्या 89 है जिसमें तारामंडल सप्त ऋषि प्रमुख है।

नक्षत्र यह क्या होता है आईए जानते हैं सूर्य के चारों ओर उसके नजदीक पाए जाने तारों को नक्षत्र कहते हैं इसकी संख्या 27 है भारतीय ज्योतिष शास्त्र इसी नक्षत्र पर आधारित है। खगोल विज्ञान (Astronomy) |भूगोल: सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए

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